Virat Mandir Shahdl : मध्यप्रदेश में कई सारे ख़ूबसूरती समेटे हुए प्राकृतिक स्थल और अमूल्य धरोहरें है जो प्रदेश ही नही देशभर में प्रसिद्ध है उन्ही में से एक है सोहागपुर का विराट मंदिर। इस मंदिर की कलाकृतियाँ पर्यटकों और इतिहासकारों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। महाशिवरात्रि में हजारों के संख्या में लोग शिव जी के दर्शन करने इस मंदिर में आते हैं।
यह मंदिर हजारों वर्ष पुराना है जो अभी भी सीना ताने हुए खड़ा है। इस मंदिर का निर्माण सामजिक और आध्यात्मिक दृष्टी को ध्यान में रखते हुए किया गया है जो अभी भी लोगों को बेहतर जीवन जीने की कला उकेरी गई कलाकृतियाँ के माध्यम से बयाँ करता हैं। विराट मंदिर वेसर शैली में बना हुआ है। अगर आप कभी शहडोल जाये तो इस मंदिर को देखने अवश्य जाना चाहिए।
विराट मंदिर, शहडोल
विराट मंदिर शहडोल जिले के सोहागपुर में स्थित है इस मंदिर को विराठेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। इस विराठेश्वर मंदिर का निर्माण एक चबूतरे पर किया गया है। इस मंदिर के भू- विन्यास में अर्धमंडप, महामंडप, अन्तराल और वर्गाकार गर्भगृह है। मंदिर की शिल्पकला बेहद ही शानदार है, मुख्यद्वार में सबसे उपर चतुर्भुजी विष्णु जी विराजमान है दाएँ ओर गणेश जी और बाएं ओर वीणावादिनी है। मंदिर के बाहर के दीवारों में दिक्पाल वसु, शिव की विविध रूप , शिव परिवार, विष्णु अवतार, मिथुन दृश्य जो ( खजुराहो मंदिर के तरह है ) तथा गजशार्दुल का बहुत ही बेहतरीन तरीके से शिल्पांकन किया गया है। मिथुन मूर्तियों के देखने अनुसार मंदिर समर्ध है इसमें कामकला के कई आसनों को बेहद ख़ूबसूरती के साथ उकेरा गया है। इन सभी के अलावा मंदिर में सबसे आकर्षण बहुभुजायुक्त नृत्यरत शिव की प्रतिमा है। मंदिर के मंडप में भी कई सारे प्रतिमाएं रखी हुई हैं जो कई अन्य स्थानों से प्राप्त हुए हैं।
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित है जो मंदिर की तुलना में बेहद छोटा है और तांबे के एक फ़णीनाग भी शिवलिंग पर विराजमान हैं। पुरातत्व जानकारों के अनुसार छोटे शिव लिंग को मंदिर के आत्मा के रूप में परिभाषित किया है। जिस तरह शरीर में आत्मा का वास होता है उसी तरह इस शिव लिंग का वास इस मंदिर में है। आइये अब मंदिर के इतिहास पर एक नज़र डालते हैं
मंदिर का इतिहास
विराट मंदिर का निर्माण 9वीं 10वी शताब्दी में कलचुरी शासक युवराज देव प्रथम ने गोलकी मठ के आचार्य के सामने पेश करने के लिए बनवाया था। इस धरोहर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वर्ष 1975 में इस मंदिर को केंद्रीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को सौंपा गया था प्रकृति की मार झेलते हुए वर्ष 1997 से मंदिर के पीछे का भाग पीछे की ओर झुकता जा रहा है। वर्तमान में भी मंदिर की स्थिति ठीक नही है।
विराट मंदिर कैसे जाएँ
विराट मंदिर तक पहुँचना बेहद ही आसान है आप अपने वाहनों से जा सकते हैं
- निकटतम बस स्टैंड – सोहागपुर बस स्टैंड
- निकटतम रेलवे स्टेशन – शहडोल रेलवे स्टेशन। यह स्टेशन देश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
- निकटतम हवाई अड्डा – हवाई अड्डा जबलपुर 143 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
Places To Visit Near Virat Mandir
- कंकाली मंदिर
- बाणसागर डैम
Web Title – virat mandir shahdol history in hindi
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