Baba Basukinath Mandir Deoghar Jharkhand : भारत मंदिरों का देश है, हर राज्य में आपको कई सारे मंदिर देखने को मिलेंगे जो पर्यटक और भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। झारखंड राज्य में भी कई सारे मंदिर हैं जो काफी प्रसिद्ध हैं जिन्हें देखने और दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं उन्हीं में से एक मंदिर है बाबा बासुकीनाथ। यहाँ शिव जी को नागेश के रूप में पूजा जाता है। यह हिंदुओं का एक प्रसिद्ध मंदिर जो सबसे पवित्र तीर्थ स्थल में से एक है।

बाबा बासुकीनाथ मंदिर
बाबा बासुकीनाथ मंदिर को भोले नाथ का दरबार माना जाता है। इस धाम में शिव और पार्वती मंदिर एक-दूसरे के ठीक सामने हैं। जब दोनों मंदिरों के द्वार खोले जाते हैं, तब भक्तों को द्वार के सामने से दूर जाने को कहा जाता है ऐसा माना जाता है की भगवान शिव और माता पार्वती इस समय एक दूसरे से मिलते हैं। इन सभी के अलावा मंदिर परिसर में और भी देवी देवताओं के कई सारे छोटे छोटे मंदिर है। इस मंदिर में भगवान शिव क्र दर्शन करने के लिए वर्ष भर आते रहते हैं लेकिन श्रावण माह में देश के कई जगह से लोग दर्शन करने पहुंचते हैं।
श्रावणी मेला
श्रावणी मेला जिसे कांवरिया मेला के नाम से भी जानते हैं यह श्रावण माह में लगभग सवा महीनों तक चलता है। इस दौरान बाबा बासुकीनाथ धाम का महत्त्व बढ़ जाता है। जुलाई अगस्त के महीनों में भारत के कई राज्यों से भारी संख्या में लोग दर्शन करने और जल चढाने जाते हैं। शिव भक्त सबसे पहले बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज, जो बासुकीनाथ से लगभग 135 किलोमीटर दूर है, वहाँ पहुंचते हैं और गंगा जल ले कर बाबा धाम की और पैदल आते है। जो भक्त बिना रुके सीधे बासुकीनाथ पहुंचते हैं उन्हें डाक बम कहते हैं और जो कई जगह रुकते हुए बाबा के धाम पहुँचते हैं उन्हें “बोल बम” कहते है।
बाबा बासुकीनाथ धाम का इतिहास
अगर हम इस धाम की इतिहास पर नजर डालें तो कई सारे पौराणिक कथाएँ मिलती है उन्हीं में से दो के बारे में नीचे बताया गया है। समुद्र मंथन के दौरान मंदर पर्वत को मथानी और वसुकिनाग को रज्जू के रूप में व्यवहार किया गया था इस मंथन के बाद वासुकिनाग को नागनाथ के शरण में छोड़ दिया इस तरह से वासुकिनाथ के रूप में विख्यात हुए
सुंदर एवं रमणीय निषद प्रदेश के वोगली नामक ग्राम में वासु नाम का एक सदाचारी मनुष्य रहता था। एक बार एक भयंकर अकाल पड़ा, अकाल के कारण बासु के घर में अनाज नहीं था। अपने परिवार की भूख को शांत करने के लिए एक रोज कंदमूल की खोज में निकल पड़ा। एक स्थान से लता कुंज को हटाकर कंद की जड़ में खंती से प्रहार किया उस स्थान में नागनाथ लता कुंज से ढके हुए थे। जिसके बारे में वासु को पता नहीं था, खंती के प्रहार से भोले शंकर नागनाथ के लिंग से खून की धारा निकलने लगी, जिसे देख वासु घबरा गया और जल्दी से मिट्टी ढक कर आगे बढ़ा लेकिन उसी समय आकाशवाणी हुई। ।। हे वासु तुम चिंता मत करो मैं नागनाथ हूं। तुम मेरी पूजा करो ।। इसके बाद से आकाशवाणी के अनुसार वहां पूजा अर्चना की। पूजा से खुश होकर नागनाथ ने दर्शन दिया तथा कहा तुम्हीं से मैं इस युग में प्रथम पूजित हुआ इसलिए भक्तगण आज से मुझे बासुकीनाथ के नाम से जानेंगे और भक्तगण फल पाएंगे। इस तरह से नागनाथ ज्योतिर्लिंग बासुकीनाथ कहलाए।
source – बासुकीनाथ की पौराणिक कथाएँ
दर्शन करने का समय
बासुकीनाथ के दर्शन करने का समय श्रावण माह और सोमवार पूर्णिमा को छोड़कर मंदिर का समय निम्नानुसार है :
- दिन के समय – सुबह 3:00 बजे से दोपहर 4:00 बजे तक।
- रात के समय – सूर्यास्त के बाद 8:00 बजे रात में।
कैसे पहुँचे
बासुकीनाथ धाम पहुंचना बेहद ही आसान है आप अपने दो या चार पहिये वाहन या टैक्सी बुक करके। यात्रियों की संख्या और टैक्सी के आधार पर लगभग 800 से 1,000 रूपये तक का खर्च करना पड़ेगा।
- निकटतम बस स्टैंड : दुमका बस स्टैंड
- निकटतम रेलवे स्टेशन : जसीडिह रेलवे स्टेशन और दुमका रेलवे स्टेशन
- निकटतम हवाई अड्डा : नेताजी सुभाष चंद्र बोस हवाई अड्डा कोलकाता और बिरसा मुंडा हवाई अड्डा रांची
बाबा बासुकीनाथ मंदिर का फोटो


Places To Visit Near Basukinath Mandir
- Massanjore Dam : यह दुमका जिले से 31 किलोमीटर की दूरी पर है। यह बाँध 16650 एकड़ में फैला हुआ है इसकी ऊँचाई 155 फीट और लम्बाई 2170 फीट है इसमें कुल 30 गेट है। मसानजोर डैम के आसपास हरे भरे पहाड़ियाँ और जंगल है और डैम के समीप ही पार्क है जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
बासुकीनाथ धाम से संबंधित सवाल जवाब
जब भी हम कभी किसी पर्यटन स्थल जाते हैं तो उस स्थल से सम्बंधित कई सवाल हमारे मन में होते हैं इसलिए हमने कुछ सामान्य सवालों के जवाब नीचे दिए हैं जो आपके लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं।
बासुकीनाथ मंदिर खुलने का समय सुबह 03 बजे और बंद होने का समय रात 08 बजे है।
हाँ ! यहाँ पब्लिक टॉयलेट उपलब्ध हैं।
हाँ ! यहाँ पार्किंग के लिए जगह उपलब्ध है।
www.bababasukinath.com
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