Baba Baidyanath Dham Deoghar Jharkhand : भारत के सभी राज्यों में कई सारे मंदिर है जो जिनके साथ कई सारे रोचक पौराणिक कथा जुड़े हुए होते हैं। झारखण्ड के देवघर में स्थित बैद्यनाथ मंदिर भी उन्ही में से एक है। यह झारखण्ड के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक हैं। इस बैद्यनाथ धाम में शिव जी का 9वाँ ज्योतिर्लिंग है इसके साथ ही यह शक्तिपीठ भी है इसलिए यहाँ भारी संख्या में भक्तों का आना जाना लगा रहता हैं। इस धाम से संबंधित रोचक पौराणिक कथा है जिसके बारे में आगे बताया गया है। आइये हम इस मंदिर के बारे में, दर्शन करने का समय, कैसे इस धाम तक जा सकते हैं इत्यादि के बारे में विस्तार से जानते हैं।
बाबा बैद्यनाथ धाम
बाबा बैद्यनाथ धाम जिसे लोग बैजनाथ धाम, बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर और बाबा धाम के नाम से भी जानते हैं। यह पुरे भारत में एक ऐसा स्थान है जहाँ ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ एक ही स्थान पर है इसलिए इसे हद्रय पीठ और हार्द पीठ भी कहते हैं। यह धाम मुख्यतः भगवान शिव को समर्पित है साथ ही यहाँ भगवान गणेश और देवी पार्वती की मूर्तियाँ भी हैं।
मंदिर परिसर में प्रवेश करने के लिए तीन प्रवेश द्वार हैं, परिसर में घुसते ही आपको शिव जी के मुख्य मंदिर के अलावा आसपास और भी कई सारे मंदिर नज़र आयेंगे। शिव जी के मंदिर के सामने ही माता पार्वती का मंदिर है जिसे लाल रंग के पवित्र धागों से दोनों मंदिर को बाँधा गया है। यह बंधन शिव और शक्ति की एकता को प्रदर्शित करते हैं।
बाबा बैद्यनाथ मंदिर में रोज़ाना भारी संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं। भक्तों का मानना है की दिल से पूजा अर्चना करने पर सभी मनोकामनाए पूर्ण होती है इसलिए मंदिर में स्थित शिव लिंग को कामना लिंग भी कहा जाता है। भगवान बैद्यनाथ की पूजा विशेषकर रोग से मुफ्त होने और अपनी मन्नत पूरी करने के लिए करते हैं।
इस मंदिर का नाम बैद्यनाथ कैसे पड़ा
इस मंदिर/धाम के नामकरण के पीछे कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित है।
बाबा बैद्यनाथ की कहानी – एक बैजू नामक व्यक्ति रहता था जो भगवान शिव जी की पूजा अर्चना करता था। भगवान शिव बैजू के भक्ति से प्रसन्न होकर अपने नाम के आगे बैजू जोड़ लिया और बैजनाथ कहलाये समय के साथ लोग बैद्यनाथ कहने लगे।
एक और अन्य कहानी यह है की जब रावण ने शंकर जी को प्रसन्न करने के लिए अपने 09 सर का बलि चढ़ा दिया था तब शिव जी ने प्रसन्न होकर उनके सभी सर को फिर से ठीक कर दिया था इसलिए बैद्यनाथ कहते हैं। इन सभी के अलावा और भी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित है।
मंदिर में पूजा अर्चना करने का समय
मंदिर का गेट सुबह 4 बजे खुलता है और फिर सुबह 4:00 बजे से 5:30 तक मुख्य पुजारी के द्वारा षोडशोपचार ( हिन्दुओं का पूजा करने का तरीका जिसमें 16 विधिवत तरीकों से पूजा अर्चना किया जाता है ) किया जाता है। षोडशोपचार को स्थानीय लोग सरकारी पूजा के नाम से भी जानते हैं। षोडशोपचार के बाद दोपहर 3:30 बजे तक भक्त पूजा अर्चना करते हैं। मंदिर के दरवाजा को दोपहर 3:30 बजे बंद करने के बाद शाम 6 बजे फिर से खोला जाता है और फिर श्रंगार पूजा किया जाता है और फिर रात्रि 9 बजे मंदिर को बंद कर दिया जाता है।
बैद्यनाथ धाम का इतिहास
स्थानीय पंडितों के अनुसार – रावण ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए अपने 09 सिर की बलि चढ़ा दी थी अंत में शिव जी प्रसन्न हुए और वर मागने को कहा। रावण ने भगवान शिव को लंका चलने का आग्रह किया। भगवान शिव लंका जाने को तैयार हो गए लेकिन लंकेश के समक्ष एक शर्त रखी की वे शिवलिंग के रूप में जायेंगे और जहाँ भी जमीन में शिव लिंग को रखा जायेगा वही विराजमान हो जायेंगे।
रावण भगवान शिव के शर्त को मान गया और हाथ में शिवलिंग को लिए लंका जाने लगा इसे देख अन्य देवी देवताओं में खलबली मच गई। सभी देवी देवताओं ने मिलकर एक योजना बनाया।
वरुण देव (पानी के देवता ) रावण के पेट में प्रवेश हो गए जिससे लंकेश को लघुसंका लगी और वो इधर उधर देखने लगा ताकि शिवलिंग को किसी को दे सके कुछ ही दूर उन्हें ग्वाला दिखाई दिया। लंकेश ने उस ग्वाला को शिवलिंग पकड़ने को कहा और बोले की इसे जमीन पर मत रखना और फिर लघुसंका के लिए चला गया।
देवी देवताओं के योजना के अनुसार भगवान विष्णु ही ग्वाला बने हुए थे। रावण लघुसंका करके वापस आकर देखता है की उस ग्वाला ने शिवलिंग को जमीन पर रख दिया। रावण शिवलिंग को उठाने का प्रयास करता है लेकिन वह असफल हो जाता है। शर्त अनुसार वही शंकर जी वहीं विराजमान हो जाते है। जिस जगह पर शिवलिंग को रखा गया उसे ही बैद्यनाथ धाम/मंदिर के नाम से जानते हैं।
कैसे पहुँचे
बाब धाम पहुंचना बेहद ही आसान है आप अपने दो या चार पहिये वाहन से आसानी से पहुंच सकते हैं यह देवघर बस स्टैंड से लगभग तीन किलोमीटर की दूर पर है।
- निकटतम बस स्टैंड : देवघर बस स्टैंड
- निकटतम रेलवे स्टेशन : जसीडिह रेलवे स्टेशन
- निकटतम हवाई अड्डा : नेताजी सुभाष चंद्र बोस हवाई अड्डा कोलकाता और बिरसा मुंडा हवाई अड्डा रांची
बाबा बैद्यनाथ मंदिर का फोटो
निकटतम पर्यटन स्थल
- त्रिकुट पहाड़ : त्रिकूट पहाड़ एक रोमांच से भरपूर पर्यटन स्थल है खूबसूरत प्राकृतिक नजारे, एडवेंचर के साथ साथ कई सारे धार्मिक स्थल है यह देवघर से के काफी करीब है। अगर आप कभी देवघर जाते हैं तो आपको एक बार त्रिकूट अवश्य जाना चाहिए। पहाड़ी पर चढ़ने के लिए रोपवे का इस्तेमाल किया जाता है जो आपके लिए एक नया अनुभव हो सकता हैं।
- नंदन पहाड़ : नंदन पहाड़ देवघर में स्थित पहाड़ी पर बना एक पार्क है जो स्थानीय लोगों और पर्यटकों को काफी ज्यादा आकर्षित करते हैं इस पार्क में आप अपने परिवार के साथ अच्छा समय व्यतीत कर सकते हैं खासतौर से बच्चों को यह पार्क बहुत पसंद आता है।
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