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रामगढ़ पहाड़ी: देश की सबसे प्राचीनतम नाट्यशाला

Ramgarh Pahadi Chhattisgarh: सरगुजा जिले में कई सारे पर्यटन स्थल है जो अपने साथ कई कहानियाँ समेटे हुए है, उन्हीं में से एक है रामगढ़ पहाड़ी यह मुख्यरूप से प्राचीनतम नाट्यशाला और महाकाव्य मेघदूत का रचना स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। आइये रामगढ़ पहाड़ी के बारे में और यहाँ स्थित जोगीमारा गुफा, सीताबेंगरा गुफा के बारे में जानते हैं।

रामगढ़ पहाड़ी : देश की सबसे प्राचीनतम नाट्यशाला

रामगढ़ पहाड़ी

रामगढ़ पहाड़ी उदयपुर विकास खंड के निकट अंबिकापुर-बिलासपुर रोड में अंबिकापुर से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर है। यह समुद्र तल से 3,202 फीट की ऊंचाई पर है।

इस पहाड़ी में कई गुफाएं हैं जिनमें से सीताबेंगरा काफी प्रसिद्ध हैं, इस गुफा को देश का सबसे पुराना नाट्यशाला के रूप में जाना जाता है। रामगढ़ पहाड़ी की सबसे ऊँची छोटी पर राम जानकी मंदिर हैं जहाँ जाने के लिए लगभग 626 सीढ़ी चढ़ना पड़ता है।

इस पहाड़ी के सबसे नीचे शिखर पर स्थित “सीताबेंगरा, जोगीमारा और हाथी पोल है। यहाँ तक आसानी से अपने वाहन से पहुंच सकते हैं लेकिन अन्य गुफाएं जैसे सिद्ध गुफा, दुर्गा गुफा और चन्दन गुफा तक पहुंचने के लिए आपको पहाड़ी के उपर जाना पड़ता है। आइये इन सभी गुफाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

रामगढ़ की पहाड़ी पर कौन-कौन सी गुफाएं हैं

रामगढ़ की पहाड़ी में कई सारे गुफाएं हैं, जिनके नाम नीचे दिए गए हैं:

  1. सीताबेंगरा गुफा
  2. जोगीमारा गुफा
  3. सिद्ध गुफा
  4. दुर्गा गुफा
  5. चन्दन गुफा

सीताबेंगरा गुफा

सीता बेंगरा की गुफा को पत्थरों को दीर्घा की तरह तराश कर बनाया गया है। इसकी लंबाई 44.5 फीट और चौड़ाई 15 फीट है। प्रवेश द्वार गोल है और दीवारें सीधी हैं। यह गेट 6 फीट लंबा है, लेकिन अंदर जाने के बाद यह सिर्फ 4 फीट लंबा है।

यह देश की सबसे प्राचीनतम नाट्यशाला हैं, इसे इको-फ्री बनाने के लिए दीवारों में छेद किए गए हैं। गुफा में जाने के लिए पहाड़ी को काटकर सीढ़ियां बनाया गया है। इस गुफा में गुप्त काल की ब्राह्मी लिपि में लिखे शिलालेख भी मिलें हैं।

किंवदंती के अनुसार, भगवान राम, वनवास के दौरान लक्ष्मण और सीता के साथ यहां आए थे। वनवास के दौरान सीताजी ने जिस गुफा में शरण ली थी, इसी वजह से इसे “सीताबेंगरा” के नाम से जानने लगे।

जोगीमारा गुफा

रामगढ़ पहाड़ी

इस गुफा की एक और दिलचस्प विशेषता यह है कि इसमें कुछ सबसे पुराने भारतीय भित्ति चित्र हैं। जोगीमारा गुफा में करीब 8 मूर्तियां हैं। ये मूर्तियाँ 2,000 वर्ष से अधिक पुरानी हैं।

इस गुफा की लंबाई 15 फीट, चौड़ाई 12 फीट और ऊंचाई 9 फीट है। इसकी दीवारों के अंदर चिकनी वज्र का प्लास्टर किया गया है। गुफा की छत आकर्षक बहुरंगी कलाकृति से ढकी हुई है। इन चित्रों में तोरण, पत्ती-फूल, पशु-पक्षी, नर-देवता-राक्षस, सैनिक और हाथी सहित अन्य चीजों को चित्रित किया गया है। इस गुफा में चित्रों के केंद्र में पांच युवतियां बैठी हैं।इस गुफा में मौर्य काल की ब्राह्मी लिपि में लिखे शिलालेख मिले हैं।

हाथी पोल: सीताबेंगरा के पास ही एक हाथी पोल के नाम से जाना जाने वाला एक सुरंग मार्ग है। यह लगभग 180 फीट लंबा है। इसमें 55 फुट ऊंचा प्रवेश द्वार है। इस सुरंग में हाथी आसानी से आना जाना कर सकते हैं इसलिए इसे हाथी पोल कहा जाता है।

राम जानकी मंदिर

राम जानकी मंदिर रामगढ पहाड़ी के सबसे उपरी चोटी पर है, यहाँ तक पहुँचने के लिए 626 सीढ़ी चढ़ना पड़ता हैं। यह पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको अपने वाहन से सीताबेंगरा से लगभग 3-4 किलोमीटर आगे रामगढ़ के मुख्य शिखर तक पहुंचना होगा और फिर 626 सीढ़ी चढ़कर आप मंदिर तक पहुंच सकते हैं। इस मंदिर में कई भगवानों की मूर्तियाँ हैं, जहाँ आप पूजा अर्चना कर सकते हैं।

सिद्ध गुफा

राम जानकी मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर सिद्ध गुफा है, यह सुरंग जैसा प्रतीत होता है, इसके अन्दर नही जा सकते हैं लेकिन इस गुफा से व्यू बहुत ही अच्छा है, ऊंचाई से हरे भरे जंगल को देखना बड़ा ही सुखद अनुभव देता है।

दुर्गा गुफा

दुर्गा गुफा में आपको देवी दुर्गा, शिव लिंग और कई देवी देवताओं के पोस्टर देखने को मिलेंगे। इस गुफा तह पहुँचना आसान हैं लेकिन गुफा के पास रास्ता बहुत ही खतरनाक है जो रोमांचित कर देता है। इस गुफा से जो नज़ारा देखने को मिलता है वो सबसे बेहतरीन है।

इस गुफा में में आप पूजा अर्चना कर सकते हैं और थोड़ी देर रुक कर फोटोग्राफी कर सकते हैं और व्यू का मज़ा ले सकते हैं।

चन्दन गुफा

यह गुफा दुर्गा गुफा से नीचे हैं, यहाँ से आप चन्दन मिट्टी ले सकते हैं जिसका उपयोग पूजा के लिए कर सकते हैं। चन्दन गुफा में भी आपको कई देवी देवताओं के पोस्टर इत्यादि देखने को मिलेंगे। गुफा के पास 02 पानी के कुंड हैं जहाँ हमेशा पानी रहता हैं जो कभी भी कम नही होता हैं।

यहाँ आपको बंदरों का झुण्ड मिलेगा जो उछल कूद करते हैं कई बार यहाँ आपने पर्यटक और श्रदालुओं के सामान को भी छीन लेते हैं।

प्रसिद्ध कवि कालिदास से जुडी कहानी

एक अन्य कथा के अनुसार, जब राजा भोज ने प्रसिद्ध कवि कालिदास को उज्जयिनी से बाहर निकाला, तो उन्होंने यहां शरण ली और इन पहाड़ियों पर बैठकर महाकाव्य मेघदूत लिखा। इस स्थान पर “कालिदासम” जमीनी स्तर से लगभग 10 फीट ऊपर उकेरा हुआ मिला है।

कैसे पहुंचें

रामगढ़ पहाड़ी तक पहुंचना बहुत ही आसान है, अंबिकापुर बिलासपुर मार्ग नेशनल हाईवे 130 में उदयपुर से लगभग 3 किलोमीटर पहाड़ी को जाना होगा, जाने के लिए पक्की सड़कें हैं आसानी से अपने वाहन से पहुंच सकते है।

  1. बाय एयर: दरिमा हवाई अड्डा, अंबिकापुर
  2. ट्रेन द्वारा: अंबिकापुर रेलवे स्टेशन और वहा से बस अड्डा और फिर वहाँ से दूसरी बस या टैक्सी से जा सकते हैं
  3. सड़क के द्वारा: अंबिकापुर बस अड्डा और वहा से दूसरी बस से या टैक्सी से जा सकते हैं

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सवाल जवाब

रामगढ़ में कौन कौन सी गुफाएं हैं?

रामगढ़ पर्वत के निचले शिखर पर स्थित “सीताबेंगरा” और “जोगीमारा” की गुफाएं हैं और पहाड़ी पर सिद्ध गुफा, दुर्गा गुफा और चन्दन गुफा स्थित है।

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