Kailash Gufa Jashpur Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ का जशपुर जिला को प्रक्रति ने बड़े ही ख़ूबसूरती के साथ नवाज़ा है। यहाँ कई सारे प्राकृतिक और धार्मिक पर्यटन स्थल हैं उन्ही में से एक है जशपुर में स्थित कैलाश गुफा जो शिव भक्तों के लिए एक प्रमुख स्थल है। यहाँ हर वर्ष सावन में भारी संख्याँ में शिव भक्त आते हैं और गुफ़ा के अन्दर स्थित शिव लिंग में जल चढाते हैं। जहाँ कैलाश गुफा है उसे संत गहिरा गुरु की तपोभूमि भी कहते हैं।
कैलाश गुफा के समीप ही अलकनंदा जलप्रपात है जो वहाँ के वातावरण को और भी खुशनुमा बना देता है। प्रकृति प्रेमी और धार्मिक लोगों के लिए यह स्थान बहुत ही अच्छा है। चट्टानों से रिश्ता पानी, शांत वातावरण, उछल कूद करते बंदर और चिड़ियों की चचाहट मन में शांति और प्रकृति के करीब होने का अहसास कराते हैं।
कैलाश गुफा
कैलाश गुफा छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में बगीचा तहसील के अंतर्गत ग़ायबुड़ा गाँव से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगलों के बीच स्थित हैं। इसे बाबा धाम के नाम से भी जानते हैं। यह 100 मीटर लंबी गुफा एक पहाड़ी में स्थित है। कैलाश गुफा पहुँचने से पहले आपको नंदी, शिव लिंग और हाथी की मूर्ति दिखाई देगी। गुफा के अन्दर प्रवेश करने से पहले जूते और चमड़े से बने चीजों को उतारना पड़ेगा।
कैलाश गुफा में प्रवेश करते ही चट्टानों से रिसता पानी आपके उपर गिरने को बेताब होंगे जो आपकी पूरी थकान और प्यास बुझा देंगे। इसके अलावा सामने हरे भरे घने जंगल दिखाई देंगे जो हवा के झोकों से हिलते हुए ऐसे प्रतीत होते हैं मानों शिवजी के भक्ति में लीन हैं। आप जैसे ही गुफा में परवेश करेंगे आप एक बड़े से हॉल में पहुंच जायेंगे और भी सामने शिव लिंग हैं जहाँ आप जलाभिषेक कर सकते हैं।अगबत्ती की खुशबू और भक्तों के द्वारा बजाते घंटी आपको शिव की भक्ति में लीन होने के लिए मजबूर कर देंगे। शिव जी के दर्शन करने के बाद कुछ ही दूरी में संत रामेश्वर गहिरा गुरु जी की मूर्ति है जो ध्यान अवस्था में है। इसी गुफा में संत रामेश्वर गहिरा गुरु ने कई वर्षो तक तपस्या किया था इसलिए इसे संत गहिरा गुरु की तपोभूमि भी कहते हैं।
कैलाश गुफा में प्रतिवर्ष शिवरात्रि में मेला लगता है जिसमें दूर दूर से लोग शामिल होते हैं। इसके अलावा सावन माह में काफ़ी सारे भक्त कावर लेकर पैदल शिव जी को जल चढाने जाते हैं।
अलकनंदा जलप्रपात
कैलाश गुफा के समीप ही अलकनंदा जलप्रपात है जो पर्यटकों और शिव भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस जलप्रपात की ऊँचाई लगभग 30 फीट है। झरने के आसपास बड़े पेड़ों की लताओं और जड़ें बहुत ही खूबसूरत दृश्य का निर्माण करते हैं।
कैलाश गुफा का इतिहास
अगर हम कैलाश गुफा के इतिहास पर नज़र डालें तो इस गुफा की खोज का श्रेय संत रामेश्वर गहिरा गुरु जी को जाता है जिन्होंने ही वर्ष 1985 में इसकी खोज की और कई वर्षों तक तपस्या किया। इसके बाद गहिरा गुरु जी के मित्रों ने इस गुफा को आने जाने लायक बनाया ताकि भक्त पूजा अर्चना करने पहुँच सकें। ऐसा माना जाता है की कैलाश गुफा में पहले बाघों का निवास हुआ करता था इसलिए आज भी गुफा के पास में ही बाघों की मूर्ति बनाकर रखा गया है।
कैलाश गुफा कैसे जाएँ
- निकटतम बस स्टैंड – बगीचा बस स्टैंड। कैलाश गुफा बगीचा ब्लॉक से लगभग 29 किलोमीटर, जशपुर से 114 किलोमीटर और अंबिकापुर से 80 किमी दूर है।
- निकटतम रेलवे स्टेशन – रांची रेलवे स्टेशन और अंबिकापुर रेलवे स्टेशन
- निकटतम हवाई अड्डा – हवाई अड्डा रांची इस हवाई अड्डे से कोलकाता, दिल्ली, पटना, मुंबई, वाराणसी, लखनऊ और काठमांडू जैसे शहरों से नियमित उड़ानें हैं।
Places To Visit Near Kailash Gufa
- Dangari Waterfall – यह जशपुर में स्थित सबसे खूबसूरत वॉटरफॉल है जो घने जंगलों में है। अगर आप जशपुर जाते हैं तो इस प्राकृतिक स्थल को देखना न भूलें। इस जलप्रपात की ऊँचाई लगभग 100 फीट है और तीन भागों में गिरता है दूर से देखने में ऐसा लगता है मानो एक साथ कई झरने हों। यह स्थानीय लोगों के लिए पिकनिक मनाने के लिए सबसे अच्छा स्थल है यहाँ स्थानीय लोग अक्सर पिकनिक मनाने आते रहते हैं।
- खुड़िया रानी : यह मंदिर कैलाश गुफा से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, यहाँ माता खुडिया रानी का गुफा में विराजमान है जिसके दर्शन करने लोग दूर दूर से आते है यह जिला मुख्यालय से लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- राजपुरी झरना – राजपुरी झरना जशपुर से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर बगीचा के पास स्थित है। इस झरना की ओर प्रकृति प्रेमी खींचे चले आते हैं। इसके साथ ही यह झरना पिकनिक के लिए सबसे अच्छे स्थलों में से एक है।
- कैथोलिक चर्च कुनकुरी – यह चर्च ईसाई धर्मावलंबियों का आस्था का केंद्र हैं। कुनकुरी का कैथोलिक चर्च दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च है। इसे रोजरी की महारानी के नाम से भी जाना जाता है। इस चर्च में एक साथ लगभग 10 हजार लोग एक साथ प्रार्थना कर स्क्कते हैं। इसे देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं।
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