Jatmai Ghatarani Temple Gariyaband: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित जतमई घटारानी मंदिर प्राकृतिक और धार्मिक स्थल का खूबसूरत संगम है। घने जंगल के बीच स्थित दोनों मंदिर बहुत ही खूबसूरत हैं साथ मंदिर के समीप कल कल करते झरने पर्यटकों को काफी ज्यादा आकर्षित करते हैं।
अगर आप शहरों की भाग दौड़ की जिंदगी से दूर अपने परिवार या दोस्तों के साथ समय व्यतीत करना चाहते हैं तो जतमई और घटारानी मंदिर आपको अवश्य जाना चाहिए। आइये इन दोनों मंदिरों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
जतमई घटारानी मंदिर
सबसे पहले आपको यह पता होना चाहिए की जतमई और घटारानी दोनों अलग अलग मंदिर हैं। इन दोनों मंदिरों के बीच लगभग 02 किलोमीटर का अंतर हैं। इन दोनों मंदिरों के पास खूबसूरत झरने है जो भक्तों और पर्यटकों का मन मोह लेते हैं। आइये अब हम एक एक करके इन मंदिरों के बारे में जानते हैं।
जतमई माता मंदिर
यह मंदिर माता जतमई को समर्पित हैं जिन्हें वनदेवी के नाम से भी जानते हैं। इस मंदिर को सोलवीं शताब्दी में कमार जनजाति द्वारा बनवाया गया था। जतमई देवी के अलावा यहाँ माँ दुर्गा, भगवान राम और नरसिंह भगवान की मूर्ति स्थापित की गई है। मुख्य मंदिर में माता जतमई विराजमान है। पानी की धारा माता के चरणों को स्पर्श करते हुए बहती है। ऐसा कहा जाता है की यह जलधाराएँ माता जी की सेविका है। यहाँ किसी भी मौसम में पानी कम नही होता है।
यह मंदिर प्रकृति के गोद में बसा है मंदिर के सपीप ही बहता झरना और आसपास की हरियाली मनोरम दृश्य का निर्माण करते हैं। यह प्राकृतिक स्थल और धार्मिक स्थल का खूबसूरत संगम है। नवरात्री में दूर दूर से भारी संख्या में भक्त आते हैं और माता के दर्शन करते हैं।
मंदिर के पास में ही भगवान राम और लक्ष्मण को अपने कंधे पर बैठाये हुए विशाल हनुमान जी की प्रतिमा है। इस मूर्ति की ऊँचाई लगभग 150 है। मूर्ति के नीचे से बहता पानी और आसपास की हरियाली बेहद ही सुन्दर दिखाई देता है।
इन सभी के अलावा यहाँ मुख्यतः दो गुफाएं है जिनमें देवी देवताओं की मूर्ति को स्थापित किया गया है। काली देवी गुफा में माता काली विराजमान है और शेर गुफा में भी माता के फोटो वैगरा को रख दिया गया है और पूजा अर्चना करते हैं लेकिन भक्तों के अनुसार यहाँ पहले जंगल के शेर निवास करते थे इसलिए इस गुफा का नाम शेर गुफा रखा गया है।
घटारानी मंदिर
घटारानी मंदिर आदिकाल से ही घने जंगलों में एक पहाड़ी की खोह में विराजमान है जिसे समय के साथ खोह के उपर मंदिर का निर्माण कर दिया गया है जिसकी ख़ूबसूरती देखते ही बनती है। ऐसा माना जाता है की पहले जो भी जंगलो में भटक जाते थे उनके द्वारा फल फूल चढाने पर वो अपने मंजिल तक पहुंच जाते थे। देवी घटारानी भटके हुए लोगों को उनके मंजिल तक पहुंचा देती थी। इसके अलावा यहाँ शिवलिंग भी है जिसे घटेश्वरनाथ के नाम से जानते हैं
मंदिर के पास ही घटारानी जलप्रपात हैं जो पर्यटकों और पिकनिक मनाने आने वाले लोगों को काफी ज्यादा आकर्षित करता है। ऊँचाई से चट्टानों के उपर होते हुए गिरता पानी बहुत ही खूबसूरत दिखाई देता हैं, झरने के नीचे कुंड है जहाँ लोग जल क्रीडा करते हुए नज़र आते हैं।
कब और कैसे जायें
जतमई और घटारानी मंदिर के दर्शन करने आप वर्ष के किसी महीनों में जा सकते हैं लेकिन आप मंदिर के साथ साथ प्राकृतिक ख़ूबसूरती का लुफ्त उठाना चाहते हैं तो जुलाई से जनवरी के मौसम जायें।
राजधानी रायपुर से इन मंदिरों की दूरी लगभग 80 किलोमीटर है। सबसे पहले आपको रायपुर आना होगा और फिर आप अपने वाहन की मदद से या टैक्सी बुक करके 80 किलोमीटर का सफर कर मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
- निकटतम बस स्टैंड : रायपुर बस स्टैंड
- निकटतम रेलवे स्टेशन : रायपुर रेलवे स्टेशन।
- निकटतम हवाई अड्डा : स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट।
अन्य पर्यटन स्थल
राजीव लोचन मंदिर : छत्तीसगढ़ के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है राजीव लोचन मंदिर। यह मंदिर भगवान विष्णु जी को समर्पित है। यहाँ माघ पूर्णिमा में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जिसमे दूर दूर से लोग आते हैं और मेले में शामिल होते हैं।
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