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Gwalior fort : ग्वालियर का किला के बारे में जाने

बचपन में हमारी दादी के कहानियों में आपने किले के बारे में सुना होगा साथ में पुराने राजा, उनकी बेटी अवश्य होते थे। जब भारत में पर्यटन की बात आती है तो ऐसी स्थिति में भारत के कई सारे किले अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं उन्ही में से एक है ग्वालियर का किला आइये हम इस किले के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं:

ग्वालियर का किला

ग्वालियर मध्य भारत का एक शहर है जो पर्यटकों को अपनी ओर बहुत ही आकर्षित करता है पर्यटन की दृष्टि से प्रमुख शहरों में से एक है। यहां कई सारे ऐतिहासिक धरोहरें हैं उन्ही में से एक है ग्वालियर का किला। यह ग्वालियर शहर में एक गोपांचल पहाड़ी पर स्थित है।

ग्वालियर का किला क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का तीसरा सबसे बड़ा किला है। यह लगभग 3 किलोमीटर में फैला हुआ है किले के अंदर कई महल और मंदिर बनाए गए हैं, जो बहुत ही सुंदर है, और वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना प्रस्तुत करते है। ग्वालियर किला को 7 -15 वीं शताब्दी में बनाया गया और समय के साथ कई महल और स्थल बनाए गए।

ग्वालियर किला ( Gwalior fort ) मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित है। मुख्य किला और महल (गुजरी महल और मन मंदिर महल )। इन किलों का निर्माण राजा मान सिंह ने अपने प्रिय  मृगनयनी के लिए एक गुजरी महल का निर्माण किया। अब गुजरी महल  को एक पुरातत्व संग्रहालय में बदल दिया गया है। संग्रहालय में पहली  ईस्वी की दुर्लभ मूर्तियां हैं। इसके अलावा यहाँ आप तेली मंदिर, 10 वीं शताब्दी में निर्मित सहस्त्रबाहु मंदिर, भीम सिंह की छतरी और सिन्धियाँ स्कूल देखने को मिलेगा।

यह किला बाहर से जितनी ख़ूबसूरती समेटे हुए है उतना ही अगर इसके इतिहास के पन्नो को पलटा जाये तो दिल को दहलाने वाले यातनाएं गृह, यातना देने के तरीके को अभी किले की दीवारें गवाह देते नजर आयेंगे।

Gwalior fort
ग्वालियर का किला

ग्वालियर किले का इतिहास ( Gwalior fort History in Hindi )

इतिहास के अनुसार, किला 7 वीं शताब्दी के मध्य में सूर्यसेना नामक सरदार की देख रेख में बनाया गया था लेकिन वर्तमान में जो स्वरुप है उसे राजा मानसिंह तोमर ने 15 वीं सदी में बनवाया। ग्वालियर के किले को लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है। इस किले पर कई राजपूत राजवंशों का शासन रहा है, किले की स्थापना के बाद लगभग 989 वर्षों तक यह पाल वंश के राजाओं द्वारा शासित रहा। इसके बाद प्रतिहार वंश ने शासन किया।

  • 1023 ईस्वी में, मोहम्मद गजनी ने किले पर हमला किया, लेकिन हार गया।
  • गुलाम वंश के संस्थापक कुतुबुद्दीन इबक ने 12 वीं शताब्दी में किले पर विजय प्राप्त की, लेकिन 1211 ईस्वी पराजित हुआ।
  • इसे 1231 ईस्वी में गुलाम वंश के संस्थापक इल्तुतमिश ने जीत लिया था। इसके बाद, महाराजा देववरम ने ग्वालियर में तोमर राज्य की स्थापना की।
  • इस किले पर 1398 से 1505 ईस्वी तक तोमर वंश का शासन था।
  • राजा मानसिंह ने 16 वीं शताब्दी के दौरान इब्राहिम लोदी की अधीनता स्वीकार कर ली थी।
  • इसके बाद कई और आक्रमण हुए जिसमें बाबर ने अपने अधीन किया लेकिन उसके बाद शेर शाह सूरी ने हराकर ग्वालियर किले को सूरी वंश के अधीन कर दिया इन सब के बाद
  • 1736 से 1756 तक राजा महाराजा भीम सिंह राणा ने इस किले को अपने अधीन रखा  उसके बाद
  • 1779 और 1844 के बीच अंग्रजों और सिन्धियाँ के बीच नियंत्रण बदलता रहा और फिर 1844 में महाराजपुर की लड़ाई के बाद पूर्ण रूप से किला सिन्धियाँ के अधीन आया
  • 1 जून, 1858 को, रानी लक्ष्मीबाई ने, मराठों के साथ, किले पर कब्जा कर लिया था, लेकिन 16 जून को ब्रिटिश सेना द्वारा जनरल ह्यूग के नेतृत्व में आक्रमण किया इसी बीच रानी लक्ष्मीबाई को गोली लगी और 17 जून को उनकी मृत्यु हो गई और फिर किले पर अंग्रेजों का कब्जा हो गया।

Best Places To Visit In Gwalior Fort

जौहर कुंड

जौहर कुंड बहुत ही दुखद दांस्ता बयां करता है जब सन 1232 में इल्तुत्मिस ने राजा को हराकर किले को जीत लिया था तब राजपूतों की पत्नियों और रानियों ने आग में कूदकर आत्मदाह कर लिया था।

गुजरी महल

गुजरी पैलेस अब एक संग्रहालय है, जिसे राजा मान सिंह तोमर ने अपनी पत्नी मृगनयनी के लिए बनवाया था, जो गुर्जर राजकुमारी थी। महल को एक पुरातत्व संग्रहालय में बदल दिया गया है। संग्रहालय में दुर्लभ कलाकृतियों में पहली और दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व की हिंदू और जैन मूर्तियां शामिल हैं; सालभंजिका लघु प्रतिमा; टेराकोटा आइटम और बाग गुफाओं में देखी गई भित्तिचित्रों की प्रतिकृतियां।

सास बहू का मंदिर : पद्मनाभ मंदिर

इस मंदिर का निर्माण 1093 ईस्वी में हुआ था।
इन मंदिरों में, राजा की पत्नी और बहू द्वारा इन मंदिरों में पूजा की जाती थी इस कारण मंदिर को सास बहू का मंदिर कहा जाने लगा इस मंदिर की मूर्तियाँ और नक्काशी बहुत ही खूबसूरत है।

जैन मंदिर

ग्वालियर किले के अंदर जैन तीर्थंकरों को समर्पित ग्यारह जैन मंदिर हैं। दक्षिण की ओर के 21 मंदिरों को तीर्थंकरों की नक्काशी द्वारा पत्थर में तराशा गया है।

तेली का मंदिर

किले में स्थित, मंदिर का निर्माण 8 वीं शताब्दी में प्रतिहार वंश के शासक मिहिर भोज द्वारा किया गया था। मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बनाया गया है। जिसकी ऊंचाई लगभग 90 फीट है।

इन्हें भी देखें

Best Time To Visit Gwalior Fort

अगर आप Gwalior Fort घुमने जाने का मन बना रहे हैं तो आपके लिए  सबसे अच्छा समय पतझड़ और वसंत के मौसम के दौरान हो सकता है, अर्थात् अक्टूबर और मार्च के बीच। आप मानसून के दौरान भी यात्रा का आनंद ले सकते हैं, जब वातावरण हरा भरा हो और खुशनुमा हो।

How to reach Gwalior Fort

ग्वालियर किले तक पहुंचना बहुत ही आसान है यह प्रमुख पर्यटन स्थल होने के कारण आपको आसानी से कई सारे साधन मिल जायेंगे जिसके मदद से आप Gwalior fort पहुंच सकते हैं कई ज्यादातर सही प्रमुख शहरों से रेल और हवाई साधन है। इस किले में जाने के दो रास्ते हैं

  • पहला – एक पुरानी सड़क जो ग्वालियर गेट से होकर गुजरती है जिसमें पैदल ही जा सकते है। ।
  • दूसरा – ऊरवई गेट, यहां से आप वाहन के मदद से जा सकते हैं किले के मुख्य प्रवेश द्वार का नाम हाथी पुल है।

Web Title –  Gwalior fort in hindi, gwalior ka kila

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