छत्तीसगढ़ में कई सारे पुरातात्विक स्थल हैं उनमें से डीपाडीह प्रमुख स्थल में से एक है। डीपाडीह ग्राम छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में स्थित है जो प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां के आसपास के क्षेत्रों में आठवीं से लेकर चौदहवीं शताब्दी के पुरातात्विक अवशेष मिले हैं जो छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा संरक्षित है। यह अंबिकापुर से कुसमी मार्ग में, अंबिकापुर से 75km की दुरी में स्थित है।
अगर आपको पुरातात्विक पर्यटन स्थल देखने में रुचि है तो आपको डीपाडीह के प्राचीन मंदिरों को देखने के लिए जरूर जाना चाहिए। यहाँ पर आपको ढेर सारे मंदिरों के अवशेष देखने को मिलेंगे। मंदिरों के अवशेष 5 किमी. के क्षेत्र में बिखरे पड़े हैं जिन्हें एक जगह रखा गया है। यह एक खुले मैदान में संग्रहालय की तरह है।
डीपाडीह के प्राचीन मंदिर
डीपाडीह मंदिरों का सर्वे 1987 में हुआ जिसके बाद 1989 में इस मंदिर की खुदाई शुरू की गई। यहाँ पर कई अलग अलग काल के और विभिन्न शासकों के वंश से सम्बन्धित मन्दिर मिलें हैं। यहां से मिले अवशेषों के आधार पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहाँ का इतिहास और कला काफी संपन्न रहें होंगें। डीपाडीह क्षेत्रों में विभिन्न संप्रदाय के अवशेषों मिले है इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है की डीपाडीह मंदिरों का सर्वे 1987 में हुआ जिसके बाद 1989 में इस मंदिर की खुदाई शुरू की गई। यहाँ पर कई अलग अलग काल के और विभिन्न शासकों के वंश से सम्बन्धित मन्दिर मिलें हैं।

यहाँ स्थित उरांव टोला शिव मंदिर, सावंत सरना प्रवेश द्वार, महिषासुर मर्दिनी की विशिष्ट मूर्ति, पंचायतन शैली की शिव मंदिर, लक्ष्मी की मूर्ति, उमा महेश्वर की आलिंगनरत मूर्ति, भगवान विष्णु, कुबेर, कार्तिकेय की कलात्मक मूर्तियां देखने दूर-दूर से लोग यहां आते हैं।
यहां से मिले अवशेषों के आधार पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहाँ का इतिहास और कला काफी संपन्न रहें होंगें। डीपाडीह क्षेत्रों में विभिन्न संप्रदाय के अवशेषों मिले है इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है की उस समय के शासक सभी धर्मों को एक समान महत्व देते थे ताकि सभी संप्रदाय समान रूप से विकास और विस्तार कर सके। खुदाई के दौरान मिले अवशेषों के आधार पर पुरातत्वविदों ने इन्हें चार समूहों में बांट दिया है।
- सामंत सरना
- बिरजा टीला
- रानी पोखर मंदिर
- उरांव टोला मंदिर
यहाँ का प्रमुख मंदिर शिव मंदिर हैं जो अन्य मंदिरों की तुलना में बड़ा है। इस मंदिर के द्वार में कई तरह के मूर्तियां बनी हुई है, यह मंदिर पंचरथ शैली में बना हुआ है। इस मंदिर में आपको खजुराहों के मंदिर में बने मैथुन करती मूर्तियों की जैसी ही मूर्तियां देखने को मिलेगी। यह मंदिर सामंत सरना समूह के अंतर्गत आता है।
इस मंदिर के गर्भ गृह में शिव लिंग है जिसे आज भी स्थानीय लोगों द्वारा पूजा जाता है, यहाँ का शिव लिंग दर्शनीय योग्य है। यहाँ पर शिवरात्रि में मेला लगता है और दशहरा में भी कई सारे श्रदालु आते है और पूजा पाठ करते हैं।
मूर्तियों की सुरक्षा
यहाँ कई सारी मूर्तियों को बाहर ही रखा गया है और कई सारी मूर्तियों को संग्रहालय में रखा गया है। अगर हम मूर्तियों की सुरक्षा की बात करें तो बाहर रखी मूर्तियां बिलकुल भी सुरक्षित नही है। ख़बरों की माने तो यहाँ की कई सारी दुर्लभ मूर्तियां चोरी हो चुकी है। मूर्तियों की सुरक्षा के लिए सरकार को आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
डीपाडीह प्राचीन मंदिर कैसे पहुंचें
डीपाडीह के प्राचीन मंदिरों तक पहुंचना बेहद ही आसान है। आप स्वयं के साधन से डीपाडीह के बस स्टैंड से कुछ ही किलोमीटर की यात्रा करके पहुंच सकते हैं। प्राचीन मंदिरों तक सड़कें ठीक है आसानी से आप 2 या 4 पहिये वाहन से जा सकतें हैं।या 4 पहिये वाहन से जा सकतें हैं।
- निकटतम बस स्टैंड – डीपाडीह बस स्टैंड
- निकटतम रेलवे स्टेशन – अंबिकापुर रेलवे स्टेशन
- निकटतम हवाई अड्डा – स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा रायपुर
Places To Visit Near Dipadih
- Tatapani – यहां प्राकृतिक रूप से धरती से गर्म जल निकल रहा है यह लोगो को आश्चर्य से भर देता है इसलिए यह प्रदेशभर में प्रसिद्ध है और इसे देखने काफ़ी सारे लोग आते हैं। यहां का पानी इतना गर्म होता है कि लोग यहां के गर्म पानी से आलू, चावल अंडे तक पका लेते हैं।
- सेमरसोत अभ्यारण्य – इस अभ्यारण्य में जंगली जंतुओं में तेंदुआ, गौर, नीलगाय, चीतल, सांभर, कोटरा, सोन कुत्ता, इत्यादि जानवर को विचरण करते देखा जा सकता है। यह अभ्यारण्य पर्यटकों के लिए नवंबर से जून तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है।
- पवई जलप्रपात – यह झरना बलरामपुर से Km की दुरी पर सेमरसोत अभ्यारण में चनान नदी पर स्थित है। यह लगभग 90 से 100 फीट की ऊंचाई से गिरता है। पवई वॉटरफॉल स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है विभिन्न अवसरों पर आकर खूबसूरत वॉटरफॉल का आनन्द लेते हैं।