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Dholkal Ganesh : रहस्यमय ढोलकल गणेश मंदिर

Dholkal Ganesh mandir Dantewada Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ प्राकृतिक सुंदरता और आदिवासियों के समृद्ध संस्कृति के साथ अपने गोद में कई रहस्य ओर ऐतिहासिक धरोहरों को संजोय हुए है। छत्तीसगढ़ में कई सारे प्राचीन मंदिर एवं प्रतिमाएं है जो विश्व भर में प्रसिद्ध हैं साथ ही  कई सारे मंदिर, स्थल है जो पौराणिक कथाओं से संबंधित है,  उन्हीं में से एक है ढोलकल गणेश मंदिर।

हम जिस ढोलकल गणेश के बारे में आपको बताने जा रहे हैं इसके पीछे भी एक दिलचस्प पौराणिक कहानी है जिसे हम आगे जानेंगे। आइए हम जानते हैं हजारों फीट की ऊंचाई पर विराजमान हुए Dholkal गणेश के बारे में

ढोलकल गणेश
ढोलकल गणेश की प्रतिमा

ढोलकल गणेश

ढोलकल गणेश छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में दंतेवाड़ा से 18 किलोमीटर दूर फरसपाल गांव के पास बैलाडीला पहाड़ी में लगभग 3000 की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर के पीछे कई सारे किदवंती स्थानीय लोगों में प्रचलित है। विशेषज्ञों का मानना है कि भगवान गणेश की यह मूर्ति लगभग 1000+ वर्ष पुराना है इस मूर्ति को नागवंशी शासकों के शासन काल में 9 वीं से 11 वीं शताब्दी के बीच बनाया गया था।

ढोलकल की गणेश प्रतिमा को ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया है इस मूर्ति की ऊंचाई लगभग 3 फीट और चौड़ाई लगभग 3.5 फीट है। इस मूर्ति में गणेश जी ने अपने उपरी दाएं हाथ में फरसा और उपरी बाएं हाथ में अपना टूटा हुआ दांत पकड़े हुए हैं। निचले दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में मोदक पकड़े हुए हैं।

यह ढोलकल गणेश मंदिर अपने आप में एक रहस्य लिए हुए है क्योंकि यहां मानव बसाहट से दूर घने जंगल के बीच 3000 फीट की ऊंचाई में इस मूर्ति को स्थापित करने का कारण किसी को नहीं पता इसलिए यह रहस्य बना हुआ है।

ढोलकल गणेश मंदिर का इतिहास ( Dholkal Ganesh History in Hindi )

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब परशुराम शिव भगवान से मिलना चाहते थे लेकिन गणेश जी ने अपने पिता का आज्ञा का पालन करते हुए उन्हें इंतजार करने को कहा लेकिन परशुराम इस बात से क्रोधित हो गए और इस तरह गणेश जी और परशुराम के मध्य युद्ध हो गया इसी दौरान युद्ध करते हुए धरती लोक में पहुंच गए यहां पर परशुराम जी के वार से गणेश जी का एक दांत टूट गया। ऐसा माना जाता है कि जिस जगह पर धरती लोक में युद्ध हुआ वो स्थल बैलाडीला पर्वत श्रेणी है।

यह मंदिर कुछ वर्ष पहले ही दूर दराज लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना है इस मंदिर को वर्ष 2012 में एक पत्रकार ने अपने फोटोग्राफ के मदद से इस आश्चर्यजनक मंदिर को लोगों से रूबरू कराया जिसके बाद से यहां कई सारे लोग dholkal ganesh के दर्शन करने पहुंचते हैं और मंदिर के अलावा खूबसूरत वादियों का लुफ्त उठाते हैं।

इस मंदिर को वर्ष 2017 में कुछ लोगों ने इसे पहाड़ी से नीचे गिरा दिया था ऊंचाई से गिरने कि वजह से यह 56 टुकड़ों में टूट गया था जिसे बाद में स्थानीय और सरकारी कर्मचारियों ने मिलकर टुकड़ों को ढूंढने के बाद इक्कठा कर फिर से जमाया लेकिन कुछ टुकड़े नहीं मिलने की वजह से इसे विशेषज्ञों ने मरम्मत किया इस तरह की घटनाएं लोगों के दिलों को आहत करती है।

ढोलकल गणेश का फोटो


ढोलकल गणेश मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय

ढोलकल गणेश मंदिर आप किसी भी मौसम जा सकते हैं, हर मौसम में आपको एक नया अनुभव मिलेगा अगर आप मानसून के समय जाते हैं तो आपको फिसलन भरे चट्टानों से बचकर रहना होगा। मेरे अनुसार आप गर्मी के मौसम अप्रैल से जून के महीनों में  ढोलकल गणेश के दर्शन करने जा सकते हैं घने जंगलों में गर्मी का अहसास नही होगा।

ढोलकल मंदिर तक कैसे जायें

अगर आप छत्तीसगढ़ घूमने का में बनाते है तो इस पर्यटन स्थल पर आपको जरूर जाना चाहिए, आइए जानते है किस तरह से ढोलकल गणेश तक पहुंच सकते हैं। सबसे पहले आपको दंतेवाड़ा पहुंचना होगा उसके बाद 13 किलोमीटर दूर स्थित फरसगांव पहुँचना होगा यहाँ से आपको गाइड मिल जायेंगे जो आपको मंदिर तक लेकर जायेंगे जैसा की आपको पता है मंदिर घने जंगलों के बीच है इसलिए इस मंदिर तक जाने के लिए आपको लगभग 03 किलोमीटर घने जंगल के बीच पैदल चलकर मंदिर तक जाना होगा। मंदिर तक पहुंचना आसान नहीं है लेकिन प्रकृति प्रेमियों और ट्रेकिंग के शौकीन लोगों के लिए यह स्वर्ग से कम नहीं है।

  • निकटतम हवाई अड्डा  – निकटतम हवाई अड्डा जगदलपुर है, यह प्रमुख हवाई अड्डा रायपुर और विशाखापट्टनम से कनेक्ट है।
  • निकटतम रेलवे स्टेशन – विशाखापट्टनम और दंतेवाड़ा के बीच दो दैनिक ट्रेनें उपलब्ध हैं।
  • सडक मार्ग- रायपुर से दंतेवाड़ा और  दंतेवाड़ा से फरसपाल गाँव के के बीच नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं।

Places To Visit Near Dholkal Ganesh

यात्रा के दौरान इसके आसपास के पर्यटन स्थल अपनी ओर आकर्षित करते हैं, अगर आप अपनी यात्रा को और भी रोमांचक बनाना चाहते हैं तो नीचे बताये गए पर्यटन स्थल पर जा सकते हैं ..

  • दंतेश्‍वरी माता मंदिरछत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में दंतेश्वरी माता मंदिर को 52 वां शक्ति पीठ भी माना जाता है। माना जाता है कि देवी सती के दांत यहां गिरे थे इसलिए क्षेत्र का नाम दंतेवाड़ा पड़ा यहां आने से सभी लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

सवाल जवाब

जब भी हम कभी किसी पर्यटन स्थल जाते हैं तो उस स्थल से सम्बंधित कई सवाल हमारे मन में होते हैं इसलिए हमने कुछ सामान्य सवालों के जवाब नीचे दिए हैं जो आपके लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं।

ढोलकल गणेश रायपुर से कितनी किलोमीटर की दूरी पर है?

रायपुर से ढोलकल गणेश की दूरी लगभग 370 किलोमीटर है।

ढोलकल गणेश का प्रतिमा कितना पुराना है?

विशेषज्ञों के अनुसार ढोलकल गणेश की मूर्ति लगभग 1000+ वर्ष पुराना है।

क्या बच्चों के साथ ढोलकल गणेश देखने जा सकते हैं।

बच्चों के साथ ढोलकल गणेश के दर्शन करने न जाएँ क्योंकि यह काफी ऊँचाई पर है।


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