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देवरानी जेठानी मंदिर बिलासपुर के बारे में जानकारी

छत्तीसगढ़ की प्राचीन संस्कृति बहुत समृद्ध रही है। शरभपुरी शासकों की दो रानियों ने देवरानी-जेठानी मंदिर का निर्माण करवाया ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं, काल के प्रभाव के कारण खराब स्थिति में है, लेकिन धर्म और उस समय  के कारीगर दक्षता अभी भी देखने को मिलते हैं।

देवरानी जेठानी मंदिर

देवरानी-जेठानी मंदिर बिलासपुर से 29 किलोमीटर दूर मनियारी नदी के तट पर ताला क्षेत्र में अमेरि कापा नामक गाँव में स्थित है। इस मंदिर की जानकारी 1878 में मेजर जनरल कनिंघम के सहयोगी जे डी वांगलर ने दिया था। यहां 4 वीं और 5 वीं शताब्दी के मंदिर हैं, जिन्हें देवरानी-जेठानी मंदिर कहा जाता है।

देवरानी-जेठानी मंदिरों में सबसे प्रसिद्ध छठी शताब्दी की रुद्र शिव प्रतिमा यहां स्थित है। मंदिर में 7 फीट की ऊँचाई और 4 फीट की चौड़ाई वाली एक अद्भुत प्रतिमा  है। इसका वजन लगभग 8 टन है। मंदिर से ज्यादा इस मूर्ति को देखने के लिए दुनिया भर से लोग यहां आते हैं। यह मंदिर अपनी सुंदर मूर्तियों, कला और पृथ्वी के गर्भ से खोदी गई दुर्लभ मूर्ति रूद्र शिव के लिए बहुत प्रसिद्ध है। देवरानी और जेठानी दो अलग अलग मंदिर है आइये अब हम इन मंदिरों और रूद्र शिव की प्रतिमा के वर्तमान स्थिति और इनके बारे में जानते हैं।

देवरानी मंदिर

देवरानी मंदिर एक छोटा मंदिर है जिसका मुख पूर्व दिशा की ओर है। यह जेठानी मंदिर की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं और इसकी सुरक्षा के लिए उपर एक छत का निर्माण कर दिया गया है ताकि यह समय की मार को झेल सके। इस मंदिर को बनाने के लिए लाल बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। इसके अन्दर की दीवारों में शानदार नक्काशी देखने को मिलता हैं।

यह मंदिर मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित है लेकिन इसके गर्भगृह में और भी कई सारे हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियाँ देखने को मिलते है। इसे बड़े से चबूतरे के उपर बनाया गया है गर्भगृह तक जाने के लिए सीढियाँ बना हुआ है।

देवरानी मंदिर का मुख्य द्वार

जेठानी मंदिर

जेठानी मंदिर भी भगवान शिव को समर्पित है यह देवरानी मंदिर के समीप ही स्थित है। वर्तमान में इस मंदिर की स्थिति दयनीय है इसके ज्यादातर सभी भाग नष्ट हो चुके आसपास मंदिर के टूटी फूटी प्रतिमाएँ देखने को मिलती हैं। इस मंदिर की सुरक्षा के लिए उपर एक छत का निर्माण किया गया है। यहाँ की प्रतिमाओं को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है की अपने समय में ये मंदिर बहुत ही भव्य रहा होगा।

ध्वस्त जेठानी मंदिर

रूद्र शिव की प्रतिमा

रूद्र शिव के मूर्ति के प्रत्येक भाग में किसी न किसी जानवर, सांप या कीट की आकृति है जिसे बहुत ही अनोखे तरीके से  मूर्ति में उकेरा गया है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह 1500 साल पुराना है लेकिन रूद्र शिव के मूर्ति के बारे में किसी को नहीं पता है। कई विशेषज्ञों का मानना है की यह मूर्ति, मंदिर से भी पुराना है, शायद मंदिर को मूर्ति के संरक्षण के लिए बनाया गया हो।

प्रतिमा के सिर के चारों ओर दो सांप लिपटे हैं जो पगड़ी की तरह दिखाई देते हैं, भौंहों और नाक वाले भाग में छिपकली और मुछों के स्थान पर दो मछलियों से बनी हैं, कान मोर के आकार में बने हैं। सांप का फेन सिर के पीछे बना है, जबकि कंधा मगर के चेहरे की तरह है। शरीर में कई स्थानों पर मानव चेहरे का आकार भी है इन सब के अलावा और भी कई सारे आश्चर्यजनक आकृति देखने को मिलेंगे जिन्हें समझना मुश्किल है।

इस तरह की मूर्ति कंही और देखने को नही मिलती है यह अभी तक रहस्य बना हुआ है की आखिर इस मूर्ति को किसने और क्यों बनाया गया है।

रूद्र शिव की प्रतिमा

देवरानी जेठानी मंदिर कैसे जाएँ

बिलासपुर मुख्य केंद्र है जहाँ से ताला आसानी से पहुँचा जा सकता है, बिलासपुर से टैक्सी और नियमित बसें उपलब्ध हैं। यह स्थान मनियारी नदी के ठीक बगल में स्थित है। इस प्राचीन मंदिर के अलावा नदी के पास में एक छोटा सा पार्क है जहाँ आप नदी के दृश्य का आनंद ले सकते हैं।

  • निकटतम हवाई अड्डा  – निकटतम  प्रमुख हवाई अड्डा रायपुर
  • निकटतम रेलवे स्टेशन – बिलासपुर रेलवे स्टेशन (30 किमी)
  • सडक मार्ग- बिलासपुर से टैक्सी और नियमित बसें उपलब्ध हैं।

देवरानी जेठानी मंदिर के आसपास अन्य पर्यटन स्थल

  • Achanakmar Wildlife Sanctuary :अचनकमार वन्यजीव अभयारण्य छत्तीसगढ़ के सबसे प्रमुख वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है और यह विभिन्न प्रजातियों के जानवरों जैसे तेंदुए, बंगाल के बाघ और जंगली बाइसन का घर है। अन्य जानवरों में चीतल, धारीदार लकड़बग्घा, सुस्त भालू, ढोल, सांभर हिरण, नीलगाय, चार सींग वाले भारतीय मृग और चिंकारा शामिल हैं।
  • Ratanpur : रतनपुर बिलासपुर से 25 किमी की दूरी पर स्थित है और ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के लिए जाना जाता है। यह कई राजवंशों के उत्थान और पतन का गवाह है। रतनपुर में महामाया मंदिर है जिसे कलचुरी शासक रत्नदेव ने बनवाया था जो अपनी वास्तुकला की भव्यता और धार्मिक महत्व के कारण आगंतुकों को आकर्षित करता है। हिंदू धर्म से संबंधित कई भक्त देवी महामाया का आशीर्वाद लेने यहां आते हैं।
  • Pataleshwar Kedar Temple : पातालेश्वर केदार मंदिर मल्हार में, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित है। कभी मल्हार राज्य की राजधानी थी। यह छत्तीसगढ़ में हिंदुओं के लिए सबसे सम्मानित स्थानों में से एक है। यह मंदिर 11 वीं शताब्दी का है और तब से इसका धार्मिक महत्व और आध्यात्मिक आकर्षण कम नहीं हुआ है। यह भगवान शिव को समर्पित है, और इस मंदिर में मुख्य आकर्षण गोमुखी शिवलिंग है।

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