Bhoramdeo Temple : Khajuraho of Chhattisgarh भारत का इतिहास बहुत ही रोचक है, कई वंशों के राजाओं ने अपने काल के दौरान भव्य और जटिल वास्तुकला का उदाहरण प्रस्तुत किया है जो आज के दौर में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं उन्ही में से एक है छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के चौरागाँव में स्थित भोरमदेव मंदिर। इस मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहा जाता है साथ ही इसकी तुलना उड़ीसा के सूर्य मंदिर से भी किया जाता है। यह मंदिर छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थल में से एक है। आइये जानते है छत्तीसगढ़ के भोरमदेव मंदिर के बारे में विस्तार से
भोरमदेव मंदिर
भोरमदेव मंदिर मैकल पर्वतसमूह के गोद में स्थित है जिसके आसपास पेड़ पौधों की हरियाली खुशनुमा वातावरण का निर्माण करती है। यह मंदिर नागर शैली में निर्मित है इसकी बाहरी दीवारों पर कामुक मुद्रा वाली मूर्तियाँ है जो बहुत ही सुंदर तरीके से उकेरा गया है। यह सभी मूर्तियाँ कामसूत्र के विभिन्न आसन से प्रेरित हैं। इन्ही कामुक मूर्तियों की वजह से भोरमदेव मंदिर को खजुराहो के मंदिर और स्थापत्य कला के कारण उड़ीसा के सूर्य मंदिर से इसकी तुलना की जाती है इस मंदिर परिसर में भोरमदेव मंदिर के अलावा यहाँ और भी मंदिर है जो अन्य हिन्दू देवी देवताओं को समर्पित है। इस मंदिर को 1089 ई. में फणी नागवंशी शासक गोपाल देव ने बनवाया था।
भोरमदेव मंदिर |
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देश – भारत |
राज्य – छत्तीसगढ़ |
निर्माता – राजा गोपाल देव |
मंदिर का पता – चौरागाँव, कबीरधाम छत्तीसगढ़ |
प्रवेश शुल्क – कोई प्रवेश शुल्क नही है |
मंदिर जाने का समय – सुबह 5:00 से रात्रि 9:00 बजे तक |
मंदिर में किसकी प्रतिमा है?
छत्तीसगढ़ में गोंड समुदाय विस्तृत रूप से फैली हुई है,ऐसा माना जाता है की गोंड समुदाय के पूजनीय देवता का नाम भोरमदेव था यहाँ के प्रमुख पुजारी के अनुसार भोरमदेव राजा थे और उनकी पत्नी अम्बिका थी और यह मंदिर भोरमदेव राजा के नाम से ही मंदिर का नाम भोरमदेव पड़ा लेकिन कई लोग इसे भगवान शिव का रूप मानते है। इस मंदिर के गर्भगृह में मुख्य रूप से शिवलिंग की मूर्ति है इसके अलावा भगवान विष्णु के अवतार की मूर्तियाँ और अष्टभुजी गणेश जी की नृत्यरत मूर्ति, काल भैरव इत्यादि के मूर्ति देखने को मिलेंगे।
इन्हें भी देखें
- Laxman Temple Sirpur Chhattisgarh : The Red Tajmahal
- Devrani Jethani Mandir Bilaspur : Mysterious Statue
भोरमदेव मंदिर की मुख्य विशेषताएं
- आपको यह जानकार आश्चर्य होगा की इस मंदिर में रखे अष्टभुजी गणेश जी की मूर्ति पूरी दुनियाँ में सिर्फ भोरमदेव मंदिर में है। अष्टभुजी गणेश जी की मूर्ति को तांत्रिक गणेश जी भी कहते हैं।
- छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने मंदिरों में से एक मंदिर।
- यहाँ की मूर्तियाँ प्रेम भाव के साथ ही गृहस्थ जीवन के अंतरंगता को प्रदर्शित करती हैं।
भोरमदेव मंदिर कब जाएँ
भोरमदेव मंदिर में सालभर पर्यटकों, भक्तों का आना जाना लगा रहता है लेकिन सावन माह में यहाँ लोगों की रौनक देखते ही बनती है काफी सारे शिवभक्त आतें हैं और नर्मदा के जल से जलाभिषेक करते हैं। अगर आप पर्यटक के रूप में आते हैं तो आप यहाँ कभी भी पधार सकते हैं और इस प्राचीन भोरमदेव मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।
How to reach Bhoramdeo Temple
- वायु मार्ग- स्वामी विवेकानन्द हवाई अड्डा रायपुर (134 किमी ) है।
- रेल मार्ग- हावड़ा-मुंबई मुख्य रेल मार्ग पर रायपुर(134 किमी) समीपस्थ रेल्वे जंक्शन है।
- सड़क मार्ग- रायपुर से (116किमी ) एवं कवर्धा (18 किमी ) से दैनिक बस सेवा एवं टैक्सियां उपलब्ध है।
सवाल जवाब
अगर आप भोरमदेव मंदिर जाने का मन बना रहें है तो आपके मन में कई सवाल आ सकते हैं हमने कुछ सामान्य सवालों के जवाब नीचे दिए है जो आपके लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं।
इस मंदिर को 1089 ई. में फणी नागवंशी शासक गोपाल देव ने बनवाया हैं।
इस मंदिर के पास में ही अन्य मंदिर है और एक बड़ा सा तालाब है जिसमें आप बोटिंग का मज़ा ले सकते हैं।
मंदिर के समीप ही गंगा कान्हा रिसोर्ट और छत्तीसगढ़ टूरिज्म का होटल हैं।
छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के चौरागाँव में स्थित है।
वेब टाइटल – Bhoramdeo Temple in Hindi
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